एक दिन मेरा हो जाता
जो स्वप्न था
उस एक दिन के इंतज़ार में
बीत गयी जाने कितनी रातें.
तुम क्या जानों कि
कितना कठिन है
तुम्हारी उपेक्षाओं की परछाई तले जीना.
कैसे मैं कोसूं तुमको
कि मेरे स्वप्न भी तुम ही हो
कभी तो मेरी रूह छू जायेगी
कभी तुम समझोगे मेरा प्रेम,
आसक्ति उतरेगी
जो स्वप्न था
उस एक दिन के इंतज़ार में
बीत गयी जाने कितनी रातें.
तुम क्या जानों कि
कितना कठिन है
तुम्हारी उपेक्षाओं की परछाई तले जीना.
कैसे मैं कोसूं तुमको
कि मेरे स्वप्न भी तुम ही हो
कभी तो मेरी रूह छू जायेगी
कभी तुम समझोगे मेरा प्रेम,
आसक्ति उतरेगी
No comments:
Post a Comment