Saturday, May 26, 2007

रात की कोरी छुअन

एक अजीर्ण चाँद जब आसमान में नहीं होता
तब भी चमकता है
ज्यों मेरी निद्रा मुझ तक नहीं आती
तब होती है तुम्हारे पास.

अधरों की सुवास
रात की कोरी छुअन की किनारी से
उतरती है आँगन.

एक लौ की तरह टिमटिमाती
कविता
अंकित होती है जीवन पृष्ठ पर.



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