Wednesday, July 4, 2007

लेख

नहीं हो पाया उजला
उसका लिखा काला लेख.

सलाइयों से उधेड़ रहा है जीवन के
जीवन को बुनने वाला.

अश्रु समझते हैं, प्रत्येक भाषा नुकीली.

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