Tuesday, May 15, 2007

मैं


जड़ें शुष्क धरातल में हैं 
किन्तु पल्लवित 
मनुष्यों के असीम अनंत दृश्य में होना हुआ. 
भाग्य की रेखाओं से आती वायु के वेग में 
मेरी उम्र के बरस बर्फ के मैदानों तक बिखरे. 
वेदों  की भाषा का अध्ययन, प्रसार, शिक्षण की कामना. 
मेरी निर्दोष दृष्टि मेरा सम्मान.
तेरी चाहना मेरा अंतस. 
तेरा होना मेरा होना.
जब कभी उदासी तुमको अपने पास बुलाएगी, 

मेरी छुअन लौटा लाएगी तुमको.


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