Tuesday, September 25, 2007

बस एक बार

और क्या कुछ न किया तुमने
मुझे पिरोया अपने हर अंग में.

अब कोई उलीचता है
तुम्हारी याद के घड़े भर-भर
कुछ भीगता फिर भी नहीं.

एक कामना
पुलकित हो मचल जाती है
पुनः पिरोलो एक बार,
बस एक बार.

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