कवितावली
Monday, July 27, 2009
ओट
संग हो सकते थे
तुम.
कोई ओट ही होती
होती कोई अजानी बात.
मैं चूम लेती किसी भी बहाने
मेरे छल, मेरे जीवन प्राण हैं.
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